केलिप्सो (चंद्रमा)
कैसिनी से प्राप्त केलिप्सो की छवि (13 फ़रवरी 2010) |
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खोज
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खोज कर्ता |
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खोज की तिथि | 13 मार्च 1980 |
उपनाम
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विशेषण | केलिप्सो |
अर्ध मुख्य अक्ष | 294,619 किमी |
विकेन्द्रता | 0.000 |
परिक्रमण काल | 1.887802 दिवस |
झुकाव | 1.56° (शनि के विषुव वृत्त से) |
स्वामी ग्रह | शनि |
भौतिक विशेषताएँ
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परिमाण | 30.2×23×14 किमी [1] |
माध्य त्रिज्या | 10.7 ± 0.7 किमी [1] |
घूर्णन | तुल्यकालिक |
अक्षीय नमन | शून्य |
अल्बेडो | 1.34 ± 0.10 (ज्यामितीय) [2] |
केलिप्सो (Calypso) (/kəˈlɪpsoʊ/ kə-LIP-soh; यूनानी : Καλυψώ), शनि का प्राकृतिक उपग्रह है। यह 1980 मे डान पास्कु, पी कैनिथ सीडलमेन, विलियम ए बौम और डगलस जी क्युरी द्वारा भूआधारित प्रेक्षणों से खोजा गया तथा S/1980 S 25 पदनाम से नवाजा गया (1980 में खोजा गया शनि का 25 वां उपग्रह)।[3] बाद के महीनों में, कई अन्य छद्मवेषी प्रेक्षित हुए यथा : S/1980 S 29, S/1980 S 30,[4] S/1980 S 32,[5] और S/1981 S 2।[6] 1983 में यह आधिकारिक तौर पर पौराणिक यूनानी पात्र केलिप्सो पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XIV या टेथिस C तौर पर भी नामित है।
केलिप्सो की कक्षा टेथिस की कक्षा के लगभग बराबर है और यह टेथिस के पीछे ६०० के अंश पर मौजूद रहते हुए शनि ग्रह की परिक्रमा करता रहता है। इस बात का पता सबसे पहले सीडेलमान ने १९८१ में लगाया। [7] टैलेस्टो (चंद्रमा) इसकी विपरीत दिशा में टेथिस से आगे ६०० के अंश पर मौजूद रहता है और दोनो के आगे आगे चलता है। टैलेस्टो और केल्पिसो को टेथिस के ट्रोजन या ट्रोजन चंद्रमा भी कहते हैं। कुल ४ ज्ञात ट्रोजन श्रेणी के चंद्रमाओं में दो ये ही हैं।
शनि के अन्य चंद्रमाओं की तरह ही केलिप्सो भी बेतरतीब आकार का है। यहाँ उंचे नीची खाईयाँ, सतह पर ढीली अव्यव्स्थित मिट्टी पाई जाती है जिसकी वजह से इसकी सतह को दूर से देखने पर यह चमकदार और मुलायम मालूम पडता है।
चित्रमाला
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13 फ़रवरी 2010 को ली गई एक और तस्वीर प्रवाह सदृश्य धवल आकृति दिखाते हुए
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23 सितम्बर 2005 की कैसिनी छवि
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केलिप्सो, जैसा कि वॉयेजर 2 से देखा गया (अगस्त 1981)