बिच्छू
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]बिच्छू संज्ञा पुं॰ [सं॰ वृश्चिक]
१. आठ पैर और दो सूँड़वाला एक प्रसिद्ध छोटा जहरीला जानवर । विशेष—यह जानवर प्रायः गरम देशों में अँधेरे स्थानों में जैसे, लकड़ियों या पत्थरों के नीचे, बिलों में रहता है । इसके आठ पैर और आगे की ओर दो सूँड़ होते हैं । इनमें से हर एक सूँड़ आगे की ओर दो भागों में चिमटी की तरह विभक्त होता है । इन्हीं सूँड़ों से यह अपने शिकारों को पकड़ता है । इसका पेट लंबा और गावदुमा होता है जिसके बाद एक और दूसरा अंग होता है जो दुम की तरह बराबर पतला होता जाता है । यह अंग मुड़कर जानवर की पीठ पर भी आ जाता है । जिसके अंतिम भाग में एक जहरीला डंक होता है जिससे वह अपने शिकार को मार डालता है । अपने हानि पहुँचानेवालों को भी यह इसी डंक से मारता है जिसके कारण सारे शरीर में असह्य पीड़ा और जलन होती है जो कई कई दिन तक थोड़ी बहुत बनी रहती है । कहीं कहीं ८-१० इंच के बिच्छ भी पाए जाते हैं जिनके डंक मारने से आदमी मर भी जाते हैं । इसके संबंध में अनेक प्रकार की किंवदंतियाँ प्रसिद्ध हैं । कुछलोग कहते हैं कि यदि बिच्छू चारों ओर से आग के बीच में फँस जाय तो वह जलना नहीं पसंद करेगा; बल्कि जलने से पहले अपने डंक से ही अपने आपको मार डालेगा । कुछ लोग कहते हैं, जिसके शरीर में से किसी प्रकार निकाला हुआ अँक इसके डंक के विष को अच्छा कर सकता है; और इसी लिये लोग जीते बिच्छू को पकड़कर तेल आदि में डालकर छोड़ देते हैं और बिच्छू के मर जाने पर उस तेल में डंक के विष को दूर करने का गुण मानने लगते हैं । पर इन सब किंवदंतियों में कोई सार नहीं है ।
२. एक प्रकार की घास जिसके शरीर में छू जाने से बिच्छू के काटने की सी जलन होती है ।
३. काकतुंड़ी का पौधा या उसका फल । (क्व॰) ।