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1

प्रतिदर्श प्रश्नपत्र (2024-25)

कक्षा-दसवी ीं तिन्दी-अ (कोड 002)

तिर्ाशरिि समय: 3 घीं टे अतर्किम अींक : 80

सामान्य तिदे र् :
निम्ननिखित निर्दे शोों को बहुत सावधािी से पनिए और उिका सख्ती से अिुपािि कीनिए :
 इस प्रश्नपत्र में कुि 15 प्रश्न हैं | सभी प्रश्न अनिवार्य हैं |
 इस प्रश्नपत्र में कुि चार िोंड हैं - क,ि,ग,घ |
 िोंड-क में कुि 2 प्रश्न हैं , नििमें उपप्रश्नोों की सों ख्या 10 है |
 िोंड-ि में कुि 4 प्रश्न हैं , नििमें उपप्रश्नोों की सों ख्या 20 है | नर्दए गए निर्दे शोों का
पािि करते हुए 16 उपप्रश्नोों के उत्तर र्दे िा अनिवार्य है |
 िोंड-ग में कुि 5 प्रश्न हैं , नििमें उपप्रश्नोों की सों ख्या 20 है |
 िोंड-घ में कुि 4 प्रश्न हैं , सभी प्रश्नोों के साथ उिके नवकल्प भी नर्दए गए हैं |
 प्रश्नोों के उत्तर नर्दए गए निर्दे शोों का पािि करते हुए निखिए |

प्रश्ि खींड – क अींक


सींख्या ( अपतिि बोर् ) (14)
1. निम्ननिखित गद्ाों श को ध्यािपूवयक पिकर उस पर आधाररत पूछे गए प्रश्नोों के उत्तर निखिए 7
:
आि नवश्व के कई र्दे शोों में अर्दरक वािी भारतीर् चार् का चस्का िोगोों को ऐसा िग
गर्ा है नक वहााँ हर कोई भारतीर् चार् का शौकीि हो गर्ा है | इसके अिावा भारत में कुल्हड़
वािी चार् भी काफी िोकनप्रर् है | नमट्टी के कुल्हड़ में परोसी गई चार् का अपिा नवशेष
महत्त्व है क्ोोंनक इसकी सौोंधी िु शबू और िािवाब स्वार्द को इसके नबिा अिुभव िहीों कर
सकते हैं | भारत की नसफाररश पर सोंर्ुक्त राष्ट्र महासभा िे 21 मई को अोंतराय ष्ट्रीर् चार्
नर्दवस घोनषत नकर्ा है | भारत िे नमिाि में हुई अोंतराय ष्ट्रीर् िाद् और कृनष सोंगठि की बै ठक
में र्ह प्रस्ताव पेश नकर्ा था | सोंर्ुक्त राष्ट्र महासभा िे अपिी अनधसूचिा में कहा नक हम
नवश्व की ग्रामीण अथयव्यवस्था में चार् के र्ोगर्दाि को िेकर र्दु निर्ा को िागरूक करिा चाहते
हैं , तानक वषय 2030 के सतत नवकास से िुड़े िक्ष्ोों को पूरा नकर्ा िा सके | सोंर्ुक्त राष्ट्र
को नवश्वास है नक 21 मई को अोंतराय ष्ट्रीर् चार् नर्दवस घोनषत करिे से इसके उत्पार्दि और
िपत बिािे में मर्दर्द नमिेगी | अोंतराय ष्ट्रीर् चार् नर्दवस का उद्दे श्य र्दु निर्ा भर में चार् के िोंबे
इनतहास और गहरे साों स्कृनतक और आनथयक महत्व के बारे में िागरूकता बिािा है । इस
नर्दि का िक्ष् चार् के स्थार्ी उत्पार्दि और िपत के पक्ष में गनतनवनधर्ोों को िागू करिे के
निए सामूनहक कार्ों को बिावा र्दे िा और भूि और गरीबी से िड़िे में इसके महत्व के बारे
2

में िागरूकता बिािा है । साथ ही सोंर्ुक्त राष्ट्र महासभा िे चार् के औषधीर् गुणोों के साथ
साों स्कृनतक महत्त्व को भी मान्यता र्दी है |
नवश्व में चार् के प्रमुि उत्पार्दकोों में एनशर्ा, अफ्रीका, र्दनक्षणी अमेररका शानमि
हैं | िबनक नवश्व के चार बड़े उत्पार्दक र्दे शोों में क्रमशः चीि, भारत, कीनिर्ा और श्रीिोंका
शानमि हैं |नवश्व के कुि चार् उत्पार्दि में इि र्दे शोों की नहस्से र्दारी 75 प्रनतशत है |भारत
नवश्व में चार् उत्पार्दि का एक बड़ा केंद्र है | भारत में चार् का उत्पार्दि करिे वािे राज्ोों में
असम, पनिमी बोंगाि,केरि, किाय टक और तनमििाडु शानमि हैं | असम भारत का
सवाय नधक चार् उत्पार्दि करिे वािा राज् है | भारत में िगभग 13 हज़ार चार् बागाि हैं ,
िो 60 िाि से अनधक श्रनमकोों की आिीनवका का प्रमु ि साधि भी हैं | चार् एक श्रम
आधाररत उद्ोग है इसनिए भारत िैसे र्दे श में इसके नवकास की अपार सोंभाविाएाँ हैं | चार्
की चुिाई के निए अनधक मात्रा में श्रनमकोों की आवश्यकता पड़ती है , क्ोोंनक चार् की पनत्तर्ााँ
एक-एक कर तोड़ी िाती हैं , नििसे कोमि पनत्तर्ााँ िष्ट् िा होों। अपिी कोमि अोंगुनिर्ोों के
कारण ही चार् के उद्ािोों में स्त्री मज़र्दूर द्वारा पनत्तर्ााँ तोड़ी िाती हैं । चार् की पत्ती तोड़िे के
काम के निए श्रनमकोों को पूरे नर्दि िड़े रहिा पड़ता है - चाहे वह नचिनचिाती धूप में हो र्ा
बाररश में। वे आम तौर पर उस नहस्से तक पहुाँ चिे के निए चार से पाों च नकिोमीटर पैर्दि
चिते हैं िहााँ वे चार् की पनत्तर्ाों चुिते हैं ।
(क) कथि (A) और कारण (R) को पिकर उपर्ु क्त नवकल्प चुनिए : 1
कथि (A): सोंर्ुक्त राष्ट्र महासभा िे 21 मई को ‘अोंतराय ष्ट्रीर् चार् नर्दवस’ घोनषत नकर्ा
है |
कारण (R): नवश्व की ग्रामीण अथयव्यवस्था को मिबूत बिािे में चार् की अहनमर्त को
समझािा |
i. कथि (A) गित है , नकोंतु कारण (R) सही है |
ii. कथि (A) और कारण (R) र्दोिोों ही गित हैं |
iii. कथि (A) सही है और कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या है |
iv. कथि (A) सही है नकोंतु कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या िहीों है |
(ि) भारत में कुल्हड़ वािी चार् काफी िोकनप्रर् है क्ोोंनक – 1
कथि के निए उनचत नवकल्प का चर्ि कीनिए –
I. सौोंधी िु शबू होती है |
II. िािवाब स्वार्द होता है |
III. बहुत माँहगी होती है |
IV. आसािी से उपिब्ध है |
नवकल्प –
i. कथि I और II सही हैं |
ii. कथि I,III और IV सही हैं |
iii. केवि कथि III सही है |
iv. कथि I,II और IV सही हैं |
3

(ग) िीचे नर्दए हुए कॉिम 1 को कॉिम 2 से सुमेनित कर सही नवकल्प का चर्ि कीनिए – 1
कॉिम 1 कॉिम 2
I नवश्व में चार् का सबसे बड़ा उत्पार्दक र्दे श 1 - भारत
II भारत में चार् का सबसे बड़ा उत्पार्दक राज् 2 - चीि
III नवश्व में चार् का र्दूसरा बड़ा उत्पार्दक र्दे श 3 - असम

i. I (1) II (2) III (3)


ii. I (2) II (3) III (1)
iii. I (3) II (1) III (2)
iv. I (1) II (3) III (2)

(घ) चार् के उत्पार्दि और िपत बिािे में ‘अोंतराय ष्ट्रीर् चार् नर्दवस’ की क्ा भूनमका है ? 2
(ङ) चार् एक श्रम आधाररत उद्ोग है – कैसे ? 2

2. निम्ननिखित काव्याों श को ध्यािपूवयक पिकर उस पर आधाररत पूछे गए प्रश्नोों के उत्तर 7


निखिए :
अिुयि ! र्दे िो, नकस तरह कणय सारी सेिा पर टू ट रहा ,
नकस तरह पाों डवोों का पौरुष होकर अशोंक वह िू ट रहा ,
र्दे िो निस तरफ़, उधर उसके ही बाण नर्दिार्ी पड़ते हैं ,
बस, निधर सुिो, केवि उसके हुों कार सुिार्ी पड़ते हैं |

कैसी करािता ! क्ा िाघव ! नकतिा पौरुष ! कैसा प्रहार !


नकस गौरव से र्ह वीर नद्वरर्द कर रहा समर-वि में नवहार !
व्यूहोों पर व्यूह फटे िाते ,सोंग्राम उिड़ता िाता है ,
ऐसी तो िहीों कमि वि में भी कुोंिर धूम मचाता है |

इस पुरुष-नसोंह का समर र्दे ि मेरे तो हुए निहाि िर्ि ,


कुछ बुरा ि मािो, कहता हाँ , मैं आि एक नचर-गूि वचि |
कणय के साथ तेरा बि भी मैं िूब िािता आर्ा हाँ ,
मि-ही-मि तुझसे बड़ा वीर, पर इसे मािता आर्ा हाँ |

“औ” र्दे ि चरम वीरता आि तो र्ही सोचता हाँ मि में ,


है भी कोई, िो िीत सके, इस अतुि धिुधयर को रण में ?

- रामधारी नसोंह नर्दिकर ( रखिरथी सप्तम सगय भाग-3 )

(क) इस काव्याों श में कौि नकसकी प्रशोंसा कर रहा है ? 1


4

i. कृष्ण अिुयि की |
ii. कृष्ण कणय की |
iii. कणय कृष्ण की |
iv. अिुयि कणय की |
(ि) कनव िे कणय के र्ुद्ध-कौशि की प्रशोंसा में क्ा कहा है ? उनचत नवकल्प का चर्ि 1
कीनिए –
I. पाों डव सेिा के पुरुषाथय को चुिौती र्दे रहा था |
II. पाों डव सेिा िे उसे चारोों ओर से घेर निर्ा था |
III. समर क्षेत्र में केवि उसके बाण नर्दिाई र्दे रहे थे |
IV. समर क्षेत्र में केवि उसकी हुों कार सुिाई र्दे रही थी |
नवकल्प –
i. कथि I और II सही हैं |
ii. कथि I,II और IV सही हैं |
iii. केवि कथि III सही है |
iv. कथि I,III और IV सही हैं |
(ग) कथि (A) और कारण (R) को पिकर उपर्ु क्त नवकल्प चुनिए : 1
कथि (A): कणय की गियिा से पाण्डव सेिा में भगर्दड़ मच गई ।
कारण (R): कणय िे पाण्डवोों की सेिा पर भीषण आक्रमण कर नर्दर्ा था |
i. कथि (A) गित है , नकोंतु कारण (R) सही है |
ii. कथि (A) और कारण (R) र्दोिोों ही गित हैं |
iii. कथि (A) सही है और कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या है |
iv. कथि (A) सही है नकोंतु कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या िहीों है |
(घ) श्रीकृष्ण िे अिुयि को कौिसा गूि वचि बतार्ा ? 2
(ङ) कणय के र्ु द्ध-कौशि को र्दे िकर कृष्ण उसके बारे में क्ा सोच रहे थे ? 2

खींड – ख
( व्याविारिक व्याकिण ) 16
3. निर्दे शािुसार ‘रचिा के आधार पर वाक् भेर्द’ पर आधाररत पााँ च प्रश्नोों में से नकन्ीों चार 4x1=4
प्रश्नोों के उत्तर निखिए :
(क) हािर्दार साहब चौराहे पर रुकते थे और मूनतय को र्दे िते थे | (सरि वाक् में बर्दनिए) 1
(ि) िब िाड़ा आता तब बािगोनबि भगत एक कािी कमिी ऊपर से ओिे रहते | 1
(सोंर्ुक्त वाक् में बर्दनिए )
(ग) रीड िरकट से बिाई िाती है िो डु मरााँ व में मुख्यतः सोि िर्दी के नकिारोों पर पाई िाती है 1
| (आनश्रत उपवाक् छााँ टकर उसका भे र्द भी निखिए )
(घ) िीरे के स्वार्द के आिोंर्द में िवाब साहब की पिकें मुाँर्द गईों | (नमश्र वाक् में बर्दनिए) 1
5

(ङ) काशी आि भी सोंगीत के स्वर पर िगती है और उसी की थापोों पर सोती है | 1


(रचिा की दृनष्ट् से वाक् का भेर्द निखिए)

4. निर्दे शािुसार ‘वाच्य’ पर आधाररत पााँ च प्रश्नोों में से नकन्ीों चार प्रश्नोों के उत्तर निखिए : 4x1=4
(क) वह नगिे-चुिे फ्रेमोों को िेतािी की मूनतय पर नफट कर र्दे ता है | (कमय वाच्य में बर्दनिए) 1
(ि) िवाब साहब द्वारा िेब से चाकू निकािा गर्ा और िीरे नछििे शुरु कर नर्दए गए | 1
(कतृयवाच्य में बर्दनिए)
(ग) नबिा सहारे र्दार्दािी अब चि िहीों पाते हैं | (भाववाच्य में बर्दनिए) 1
(घ) स्वर्ों प्रकाश िी िे ‘िेतािी का चिा’ कहािी की रचिा की | 1
(वाच्य पहचािकर भेर्द बताइए)
(ङ) कमय की प्रधािता वािे वाक् में कौि-सा वाच्य होता है ? 1

5. निर्दे शािुसार ‘पर्द पररचर्’ पर आधाररत पााँ च प्रश्नोों में से नकन्ीों चार प्रश्नोों के रे िाों नकत 4x1=4
पर्दोों का पर्द-पररचर् निखिए :
(क) पािवािा िर्ा पाि िा रहा था | 1
(ि) वक्त काटिे के निए िीरे िरीर्दे होोंगे | 1
(ग) नवद्ािर् के साथ ही एक डाकघर है | 1
(घ) वाह ! भई िू ब ! क्ा आइनडर्ा है | 1
(ङ) वे बहुत कोमि और सोंवेर्दिशीि व्यखक्त थे | 1

6. निर्दे शािुसार ‘अिों कार’ पर आधाररत पााँ च प्रश्नोों में से नकन्ीों चार प्रश्नोों की रे िाों नकत काव्य 4x1=4
पोंखक्तर्ोों में अिोंकार पहचाि कर निखिए :
(क) सहसबाहु सम सो ररपु मोरा | 1
(ि) छु अत टू ट रघुपनतहु ि र्दोसू | 1
(ग) बूिे पीपि िे आगे बिकर िुहार की | 1
(घ) तुम्ह तौ कािु हााँ क ििु िावा | बार बार मोनह िानग बोिावा | 1
(ङ) बित र्दे खि िि सम वचि बोिे रघुकुिभािु | 1

खींड – ग
( पाठ्य पु स्तक एवीं पूिक पाठ्य पु स्तक ) 30

7. निम्ननिखित पनठत गद्ाों श पर आधाररत बहुनवकल्पीर् प्रश्नोों के सवाय नधक उपर्ुक्त उत्तर वािे 5x1=5
नवकल्प चुिकर निखिए :
काशी में सोंगीत आर्ोिि की एक प्राचीि एवों अर्द्भु त परों परा है | र्ह आर्ोिि नपछिे कई
बरसोों से सों कटमोचि मोंनर्दर में होता आर्ा है | र्ह मोंनर्दर शहर के र्दनक्षण में िोंका पर खस्थत
है व हिुमाि िर्ोंती के अवसर पर र्हााँ पााँ च नर्दिोों तक शास्त्रीर् एवों उपशास्त्रीर् गार्ि-वार्दि
6

की उत्कृष्ट् सभा होती है | इसमें नबखिल्ला िााँ अवश्य रहते हैं | अपिे मिहब के प्रनत
अत्यनधक समनपयत उस्तार्द नबखिल्ला िााँ की श्रद्धा काशी नवश्विाथ िी के प्रनत भी अपार है |
वे िब भी काशी से बाहर रहते हैं तब नवश्विाथ व बािािी मोंनर्दर की नर्दशा की ओर मुाँह करके
बैठते हैं , थोड़ी र्दे र ही सही, मगर उसी ओर शहिाई का प्यािा घुमा नर्दर्ा िाता है और
भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बिती है |
(क) काशी के सोंकटमोचि मोंनर्दर में आर्ोनित सोंगीत आर्ोिि की नवशेषता है – 1
कथि के निए उनचत नवकल्प का चर्ि कीनिए –
I. र्ह आर्ोिि हिुमाि िर्ोंती के अवसर पर होता है |
II. र्ह आर्ोिि पााँ च नर्दिोों तक चिता है |
III. र्ह प्राचीि सोंस्कृनत है |
IV. शास्त्रीर् एवों उपशास्त्रीर् गार्ि-वार्दि होता है |
नवकल्प –
i. कथि I और II सही हैं |
ii. कथि I,III और IV सही हैं |
iii. केवि कथि III सही है |
iv. कथि I,II और IV सही हैं |
(ि) कथि (A) और कारण (R) को पिकर उपर्ु क्त नवकल्प चुनिए : 1
कथि (A): नबखिल्ला िााँ नमिी-िु िी सोंस्कृनत के प्रतीक थे |
कारण (R): अपिे मिहब के प्रनत अत्यनधक समनपयत उस्तार्द नबखिल्ला िााँ
की श्रद्धा काशी नवश्विाथ िी के प्रनत भी अपार थी |
i. कथि (A) गित है , नकोंतु कारण (R) सही है |
ii. कथि (A) और कारण (R) र्दोिोों ही गित हैं |
iii. कथि (A) सही है और कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या है |
iv. कथि (A) सही है नकोंतु कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या िहीों है |
(ग) काशी से बाहर के कार्यक्रमोों में नबखिल्ला िााँ नकिके प्रनत अपिी आस्था प्रकट करते थे ? 1
i. काशी नवश्विाथ के प्रनत
ii. काशी नवश्विाथ और बािािी के प्रनत |
iii. अपिे माता-नपता के प्रनत |
iv. अपिे गुरु के प्रनत |
(घ) काशी की अर्द्भुत और प्राचीि परों परा कौि-सी है ? 1
i. सोंगीत आर्ोिि की
ii. पवों के आर्ोिि की |
iii. गोंगा-मे िे के आर्ोिि की |
iv. पशु-मेिे के आर्ोिि की |
(ङ) इस गद्ाों श का मूि भाव क्ा है ? उनचत नवकल्प का चर्ि कीनिए – 1
I. काशी की साों स्कृनतक परों परा को र्दशाय िा |
7

II. नबखिल्ला िााँ के साों प्रर्दानर्क सद्भाव को र्दशाय िा |


III. नबखिल्ला िााँ की सोंगीत के प्रनत आसखक्त को र्दशाय िा |
IV. नबखिल्ला िााँ के काशी के प्रनत प्रेम को र्दशाय िा |
नवकल्प –
i. कथि I और II सही हैं |
ii. कथि I,III और IV सही हैं |
iii. केवि कथि III सही है |
iv. कथि I,II और IV सही हैं |

8. निधाय ररत गद् पाठोों के आधार पर निम्ननिखित चार प्रश्नोों में से नकन्ीों तीि प्रश्नोों के उत्तर िगभग 3x2=6
25-30 शब्ोों में निखिए :
(क) कैप्टि के प्रनत पािवािे िे क्ा व्योंग्यात्मक नटप्पणी की थी ? इस व्योंग्यात्मक नटप्पणी पर 2
आप अपिी प्रनतनक्रर्ा निखिए |
(ि) बािगोनबि भगत िे मनहिाओों की सामानिक खस्थनत सुधारिे के निए क्ा नकर्ा ? 2
(ग) िेखिका मन्नू भों डारी को साधारण से असाधारण बिािे में उिकी प्राध्यानपका ‘शीिा 2
अग्रवाि’ की भूनमका पर प्रकाश डानिए |
(घ) ‘आि का भौनतक नवज्ञाि का नवद्ाथी न्यूटि के समाि सुसोंस्कृत िहीों है |’ ‘सोंस्कृनत’ 2
पाठ के आधार पर स्पष्ट् करें नक िे िक िे ऐसा क्ोों कहा ?

9. निम्ननिखित पनठत काव्याों श पर आधाररत बहुनवकल्पीर् प्रश्नोों के सवाय नधक उपर्ुक्त उत्तर 5x1=5
वािे नवकल्प चुिकर निखिए :
ऊधौ, तुम हौ अनत बड़भागी |
अपरस रहत सिेह तगा तैं , िानहि मि अिुरागी |
पुरइनि पात रहत िि भीतर, ता रस र्दे ह ि र्दागी |
ज्ौों िि माहाँ तेि की गागरर, बूाँ र्द ि ताकौों िागी |
प्रीनत-िर्दी में पाऊाँ ि बोरर्ौ, दृनष्ट् ि रूप परागी |
‘सूरर्दास’ अबिा हम भोरी, गुर चााँ टी ज्ौों पागी ||
(क) उपर्ुयक्त पर्द में वक्ता और श्रोता क्रमशः हैं : 1
i. उद्धव – गोनपर्ााँ
ii. गोनपर्ााँ - उद्धव
iii. सूरर्दास – उद्धव
iv. गोनपर्ााँ – सूरर्दास
8

(ि) ‘पुरइनि पात रहत िि भीतर, ता रस र्दे ह ि र्दागी’- पोंखक्त में नकस खस्थनत की ओर 1
सोंकेत है ? सही नवकल्प का चर्ि कीनिए -
I. उद्धव के र्दु भाय ग्यशािी होिे की ओर |
II. उद्धव के सौभाग्यशािी होिे की ओर |
III. कृष्ण के प्रेम से प्रभानवत होिे की ओर |
IV. कृष्ण के प्रेम से अप्रभानवत होिे की ओर |
नवकल्प
i. कथि I सही है |
ii. कथि I और II सही हैं |
iii. कथि II और III सही हैं |
iv. कथि I और IV सही हैं |
(ग) कथि (A) और कारण (R) को ध्यािपूवयक पिकर सही नवकल्प चुिकर निखिए : 1
कथि (A) : गोनपर्ोों िे व्योंग्य कसते हुए उद्धव को भाग्यशािी कहा है |
कारण (R) : कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी उद्धव के मि में कृष्ण के प्रनत अिुराग
उत्पन्न िहीों हुआ |
i. कथि (A) गित है , नकोंतु कारण (R) सही है |
ii. कथि (A) और कारण (R) र्दोिोों ही गित हैं |
iii. कथि (A) सही है और कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या है |
iv. कथि (A)सही है नकोंतु कारण (R) कथि (A) की सही व्याख्या िहीों है |
(घ) ‘गुर चााँ टी ज्ौों पागी’ पों खक्त में कौि नकसका प्रतीक है ? 1
i. गुर (गुड़) उद्धव का, चााँ टी (चीोंटी) सूरर्दास का |
ii. गुर (गुड़) उद्धव का, चााँ टी (चीोंटी) श्रीकृष्ण का
iii. गुर (गुड़) श्रीकृष्ण का, चााँ टी (चीोंटी) उद्धव का |
iv. गुर (गुड़) श्रीकृष्ण का, चााँ टी (चीोंटी) गोनपर्ोों का |
(ङ) उद्धव के व्यवहार की तु ििा गोनपर्ोों िे नकससे की है ? सही नवकल्प का चर्ि कीनिए - 1
I. िि में पड़े रहिे वािे कमि के पत्ते से |
II. िि में पड़ी रहिे वािी तेि की गागर से |
III. गुड़ से नचपकी रहिे वािी चीोंटी से |
IV. कृष्ण की प्रीनत-िर्दी में पााँ व डु बािे से |
नवकल्प :
i. कथि I सही है |
ii. कथि I और II सही हैं |
iii. कथि II और III सही हैं |
iv. कथि I और IV सही हैं |
9

10. निधाय ररत कनवताओों के आधार पर निम्ननिखित चार प्रश्नोों में से नकन्ीों तीि प्रश्नोों के उत्तर िगभग 3x2=6
25-30 शब्ोों में निखिए :

(क) ‘शखक्त और साहस’ के साथ नविम्रता हो तो अच्छा प्रभाव पड़ता है ’- इस कथि पर अपिे 2
नवचार ‘राम-िक्ष्मण-परशुराम सोंवार्द’ पाठ के आिोक में निखिए |
(ि) ‘आत्मकथ्य’ कनवता के आधार पर उि तथ्योों का उल्ले ि कीनिए नििका उल्ले ि कनव 2
अपिी आत्मकथा में िहीों करिा चाहता है ?
(ग) ‘नचर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य !’ कनव िे स्वर्ों को ‘नचर प्रवासी,‘इतर’ और 2
‘अन्य’ क्ोों कहा है ? ‘र्ह र्दों तुररत मु स्काि’ कनवता के आधार पर निखिए |
(घ) वतयमाि में सोंगतकार िैसे व्यखक्तर्ोों की प्रासोंनगकता स्पष्ट् कीनिए | 2

11. पूरक पाठ्य पुस्तक के निधाय ररत पाठोों पर आधाररत निम्ननिखित तीि प्रश्नोों में से नकन्ीों र्दो प्रश्नोों 2x4=8
के उत्तर िगभग 50-60 शब्ोों में निखिए :

(क) ‘माता का अोंचि’ िामक पाठ में िेिक िे तत्कािीि समाि के पाररवाररक पररवे श का िो 4
नचत्रण नकर्ा है , उसे अपिे शब्ोों में निखिए |
(ि) ऊाँचाई की ओर बिते िािे पर िेखिका को पररदृश्य में क्ा अोंतर िज़र आए ? ‘सािा-सािा 4
हाथ िोनड़’ र्ात्रा वृ ताों त के आधार पर निखिए |
(ग) नहरोनशमा के बम नवस्फोट में हुई क्षनत को र्दे िकर िेिक को कौि-सी घटिा र्ार्द आई ? 4
‘मैं क्ोों नििता हाँ ’ पाठ के आधार पर निखिए |

खींड – घ
( िचिात्मक लेखि ) 20
12. निम्ननिखित तीि नवषर्ोों में से तकसी एक नवषर् पर सोंकेत नबन्र्दु ओों के आधार पर िगभग 1x6=6
120 शब्ोों में एक अिुच्छेर्द निखिए :
(क) िि बचाओ, पृथ्वी बचाओ
 िि के नबिा िीवि असम्भव
 िि सोंरक्षण का महत्त्व
 िि सोंरक्षण के उपार्
(ि) िोंक फूड और र्ुवा पीिी
 िोंक फूड क्ा है ?
 िोंक फूड का बिता चिि
 स्वास्थ्य पर र्दु ष्प्रभाव
(ग) समाचार पत्र के निर्नमत पठि का महत्त्व
 ज्ञाि का भोंडार
 पििे की आर्दत का नवकास
 िागरूकता
10

13. (क) आप अिुपमा / अिुपम हैं | आपके क्षेत्र को मुख्य सड़क से िोड़िे वािी सड़क पर 1x5=5
िाइटें ख़राब हो गईों हैं , निससे र्दु घयटिा की आशोंका बि गई है | इस ओर ध्याि
आकनषय त कराते हुए सावय िनिक िोक निमाय ण नवभाग को िगभग 100 शब्ोों में पत्र
निखिए |
अथवा
(ि) आप अिुपमा / अिुपम हैं | आपिे नवद्ािर् की भाषण प्रनतर्ोनगता में प्रथम स्थाि
प्राप्त नकर्ा है | अपिे र्दार्दािी को नवद्ािर् की भाषण प्रनतर्ोनगता की सोंपूणय िािकारी
र्दे ते हुए िगभग 100 शब्ोों में पत्र निखिए |

14. (क) आप मेधावी / माधव हैं | आपिे पत्रकाररता में अपिा अधर्र्ि पूरा कर निर्ा है | 1x5=5
नकसी प्रनसद्ध र्दै निक समाचार पत्र में पत्रकार का पर्द ररक्त है । आप उक्त पर्द की र्ोग्र्ता
(पत्रकाररता में स्िातक) को धारण करते हैं । उक्त ररक्त पर्द हे तु समाचार पत्र के प्रमुि
को आवे र्दि भेििे के निए िगभग 80 शब्ोों में अपिा एक स्ववृ त तैर्ार कीनिए |
अथवा
(ि) आप मेधावी / माधव हैं | ए.टी.एम. काडय ि नमििे की सूचिा र्दे ते हुए सोंबोंनधत
बैंक शािा प्रबोंधक को िगभा 80 शब्ोों में एक ई-मेि निखिए |

15. (क) प्रर्दूषण से बचिे के निए पर्ाय वरण नवभाग की ओर से ििनहत में िारी एक आकषय क 1x4=4
नवज्ञापि िगभग 40 शब्ोों में तैर्ार कीनिए |
अथवा
(ि) आपके कक्षा अध्यापक को ‘राष्ट्रीर् नशक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित नकर्ा गर्ा है |
उन्ें बधाई र्दे ते हुए िगभग 40 शब्ोों में सोंर्देश निखिए |
1

अंक योजना प्रतिदर्श प्रश्नपत्र (2024–25)


कक्षा-दसव ं तिन्द -अ (कोड 002)

तनर्ाशरिि समय: 3 घं टे अतर्किम अंक : 80

सामान्य तनदे र् :
 अंक योजना का उद्दे श्य मूल्ां कन को अधिकाधिक वस्तुधनष्ठ बनाना है |
 प्रश्नपत्र में बहुधवकल्पीय एवं वर्णनात्मक प्रश्न हैं |
 अंक योजना में धिए गए वर्णनात्मक प्रश्नों के उत्तर धबंिु अंधिम नहीं हैं | ये सुझावात्मक एवं
सां केधिक हैं |
 यधि परीक्षार्थी इन उत्तर धबन्िु ओं से धिन्न, धकंिु उपयुक्त उत्तर िें िो उसे उपयुक्त अंक धिए
जाएँ |
 मूल्ां कन-कायण अपनी धनजी व्याख्या के अनुसार नहीं,बल्कि अंक योजना में धनधिण ष्ट
धनिे शानुसार ही धकया जाए |
 एक ही प्रकार की अशुल्कि पर अंक न काटा जाए |
 मूल्ां कन में संपूर्ण अंक पैमाने – 0 से 80 का प्रयोग अिीष्ट है

खंड – क
( अपतिि बोर् ) 14
1. धनम्नधिल्किि गद्ां श को ध्यानपूवणक पढ़कर उस पर आिाररि पू छे गए प्रश्नों के उत्तर धिल्किए 7
:
आज धवश्व के कई िे शों में ----------------------- श्रधमक उपिब्ध हैं |
(क) iii कर्थन (A) सही है और कारर् (R) कर्थन (A) की सही व्याख्या है | 1
(ि) i कर्थन I और II सही हैं | 1
(ग) ii I (2) II (3) III (1) 1
(घ) करोड़ों िोग चाय के व्यापार से जुड़े हुए हैं | उनके धहिों की रक्षा और जागरूकिा 2
जरूरी है | इसी के चििे चायपत्ती की िपि और मां ग बढ़ाने पर जोर डािने में
‘अंिराण ष्टरीय चाय धिवस’ की महत्त्वपू र्ण िूधमका है |
(ङ) चाय एक श्रम आिाररि उद्ोग है | अधिक मात्रा में श्रधमकों की आवश्यकिा पड़िी है , 2
बहुि साविानी से चाय की पधत्तयाँ एक-एक कर िोड़ी जािी हैं | श्रधमकों को पूरे धिन
िड़े रहना पड़िा है , यह श्रमसाध्य कायण है |

2. धनम्नधिल्किि काव्यां श को ध्यानपूवणक पढ़कर उस पर आिाररि पूछे गए प्रश्नों के उत्तर 7


धिल्किए :
अजुणन ! िे िो,----------------------------------------अिुि
िनुिणर को रर् में ?
(क) ii कृष्ण कर्ण की | 1
(ि) iv कर्थन I,III और IV सही हैं | 1
(ग) iii कर्थन (A) सही है और कारर् (R) कर्थन (A) की सही व्याख्या है | 1
2

(घ) श्रीकृष्ण ने अजुणन से यह गूढ़ वचन बिाया धक वह अजुणन िर्था कर्ण िोनों की वीरिा को 2
जानिे हैं । वह िोनों के बि से पररधचि हैं परन्तु मन ही मन वह कर्ण को अजुणन से िी बड़ा
वीर मानिे रहे हैं ।
(ङ) कृष्ण सोच रहे र्थे धक संसार में क्या कोई और ऐसा वीर है जो कर्ण की बराबरी कर सके? 2
उसे युि में पराधजि कर सके ?

खंड – ख
(व्याविारिक व्याकिण ) 16
3. धनिे शानुसार ‘रचना के आिार पर वाक्य िेि’ पर आिाररि पाँ च प्रश्नों में से धकन्ीं चार 4x1=4
प्रश्नों के उत्तर धिल्किए :
(क) हाििार साहब चौराहे पर रुककर मूधिण को िे ििे र्थे | (सरि वाक्य) 1
(ि) जाड़ा आिा और बािगोधबन िगि एक कािी कमिी ऊपर से ओढ़े रहिे | 1
(सं युक्त वाक्य)
(ग) आधश्रि उपवाक्य- जो डु मराँ व में मुख्यिः सोन निी के धकनारों पर पाई जािी है | 1
आधश्रि उपवाक्य का िेि – धवशेषर् आधश्रि उपवाक्य
(घ) जैसे ही नवाब साहब ने िीरे का आनंि धिया वै से ही उनकी पिकें मुँि गईं | 1
(धमश्र वाक्य)
(ङ) संयुक्त वाक्य 1

4. धनिे शानुसार ‘वाच्य’ पर आिाररि पाँ च प्रश्नों में से धकन्ीं चार प्रश्नों के उत्तर धिल्किए : 4x1=4
(क) उसके द्वारा धगने -चुने फ्रेम नेिाजी की मूधिण पर धिट कर धिए जािे हैं | (कमण वाच्य) 1
(ि) नवाब साहब ने जेब से चाकू धनकािा और िीरे धछिने शु रु कर धिए| (किृणवाच्य) 1
(ग) धबना सहारे िािाजी से अब चिा नहीं जािा है | (िाववाच्य) 1
(घ) किृणवाच्य 1
(ङ) कमणवाच्य 1

5. धनिे शानुसार ‘पि पररचय’ पर आिाररि पाँ च प्रश्नों में से धकन्ीं चार प्रश्नों के रे िां धकि 4x1=4
पिों का पि-पररचय धिल्किए :
(क) नया - धवशेषर्, गु र्वाचक, पुल्कलंग, एकवचन, ‘पान’ धवशेष्य | 1
(ि) िरीिे होंगे - धिया,सकमणक, पुल्कलंग, बहुवचन, िूिकाि | 1
(ग) के सार्थ - संबंिबोिक अव्यय, घर और डाकिाने के बीच संबंि िशाण रहा है | 1
(घ) वाह ! – धवस्मयाधिबोिक अव्यय, प्रशंसासूचक 1
(ङ) वे – सवण नाम, अन्यपुरुषवाचक सवण नाम, आिरार्थणक बहुवचन, किाण कारक | 1

6. धनिे शानुसार ‘अिं कार’ पर आिाररि पाँ च प्रश्नों में से धकन्ीं चार प्रश्नों की रे िां धकि 4x1=4
काव्य पंल्कक्तयों में अिंकार पहचान कर धिल्किए :
(क) सहसबाहु सम सो ररपु मोरा | 1
– उपमा अिंकार
3

(ि) छु अि टू ट रघुपधिहु न िोसू | 1


– अधिशयोल्कक्त अिंकार |
(ग) बूढ़े पीपि ने आगे बढ़कर जुहार की | 1
– मानवीकरर् अिंकार |
(घ) िुम्ह िौ कािु हाँ क जनु िावा | बार बार मोधह िाधग बोिावा | 1
– उत्प्रेक्षा अिंकार |
(ङ) बढ़ि िे ल्कि जि सम वचन बोिे रघुकुििानु | 1
– रूपक अिंकार
खंड – ग
(पाठ्य पु स्तक एवं पूिक पाठ्य पु स्तक) 30

7. धनम्नधिल्किि पधिि गद्ां श पर आिाररि बहुधवकल्पीय प्रश्नों के सवाण धिक उपयुक्त उत्तर 5x1=5
वािे धवकल्प चुनकर धिल्किए :
काशी में संगीि आयोजन--------------------------------------
--- बजिी है |
(क) iv कर्थन I,II और IV सही हैं | 1
(ि) iii कर्थन (A) सही है और कारर् (R) कर्थन (A) की सही व्याख्या है | 1
(ग) ii काशी धवश्वनार्थ और बािाजी के प्रधि | 1
(घ) i संगीि आयोजन की | 1
(ङ) i कर्थन I और II सही हैं | 1

8. धनिाण ररि गद् पािों के आिार पर धनम्नधिल्किि चार प्रश्नों में से धकन्ीं िीन प्रश्नों के उत्तर 3x2=6
िगिग 25-30 शब्ों में धिल्किए :

(क) कैप्टन के प्रधि पानवािे ने धटप्पर्ी की र्थी ‘वो िँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में | पागि है 1+1=2
पागि !’-
 उसकी यह धटप्पर्ी व्यंग्य िाव से पररपूर्ण है |
 नैधिक मूल्ों के धवरुि है |
 शारीररक रूप से चुनौिीपूर्ण व्यल्कक्त का उड़ाया गया उपहास है |
 सवण िा अनुधचि ही नहीं अिद्रिा का िी प्रिीक है |
 ऐसी धटप्पर्ी करना अशोिनीय एवं अनुधचि व्यवहार को िशाण िा है |
 जबधक ऐसे िे श-प्रेमी व्यल्कक्तयों के प्रधि हमारा व्यवहार स्नेह,सहयोग एवं
सहानुिूधिपूर्ण होना चाधहए |
( धकन्ीं िो धबंिुओ का उले ि अपेधक्षि )
4

(ि) बािगोधबन िगि ने मधहिाओं की सामाधजक ल्कथर्थधि सुिारने के धिए िो कायण धकए - 2
 उन्ोंने अपने पुत्र को अपनी पिोहू से मुिाधि धििाकर मधहिाओं को पु रुषों के
बराबर िाने का प्रयास धकया |
 बािगोधबन िगि ने अपने पुत्र की मृत्यु होने पर पिोहू के िाई को बुिवाकर
आिे शात्मक स्वर में कहा, “इसकी िू सरी शािी कर िे ना|”
इस प्रकार धविवा धववाह के माध्यम से उन्ोंने नाररयों की सामाधजक ल्कथर्थधि को
सुिारना चाहा।
(ग) ‘शीिा अग्रवाि’ ने महत्त्वपूर्ण िूधमका धनिाई – 2
 उनके सार्थ की गई िंबी बहसों ने िेल्किका को साधहत्य समझने की दृधष्ट प्रिान
की |
 अनेक महत्त्वपूर्ण िे िकों को पढ़ने का सुझाव िे कर मन्नू के धचंिन और मनन को
सँवारा |
 उन्ें साहसी और आत्मधवश्वासी बनाया |
 िे श के स्विंत्रिा आं िोिन में सधिय िागीिार बनाया |
 उनकी जोशीिी बािों से ही िेल्किका की रगों का का िून िावा में बिि गया |
 उन्ोंने मन्नू के व्यल्कक्तत्व को धनिार कर असािारर् बनाया |
( धकन्ीं िो धबंिुओ का उले ि अपेधक्षि )
(घ) ‘संस्कृधि’ पाि के आिार पर 2
 न्यूटन गुरुत्वाकषण र् के धसिां ि का आधवष्कार करने के कारर् संस्कृि मानव र्था
|
 आज के धवद्ार्थी ने अपनी बुल्कि और धववे क के बि पर न्यू टन की िरह नया
आधवष्कार नहीं धकया।
 अि: वह न्यू टन के समान सुसंथकृि नहीं है ।
 आज का धवद्ार्थी न्यूटन के धसिां ि के सार्थ-सार्थ अन्य बािों का िी ज्ञान रििा
है |
 इस आिार पर आज के धवद्ार्थी को अधिक सभ्य िो कह सकिे हैं परं िु संस्कृि
नहीं |

9. धनम्नधिल्किि पधिि काव्यां श पर आिाररि बहुधवकल्पीय प्रश्नों के सवाण धिक उपयुक्त उत्तर 5x1=5
वािे धवकल्प चुनकर धिल्किए :
ऊिौ, िुम हौ अधि बड़िागी-----------------------------------------ज्ौं पागी ||
(क) ii गोधपयाँ - उिव | 1
(ि) iv कर्थन I और IV सही हैं | 1
(ग) iii कर्थन (A) सही है और कारर् (R) कर्थन (A) की सही व्याख्या है | 1
(घ) iv गुर (गुड़) श्रीकृष्ण का, चाँ टी (चींटी) गोधपयों का | 1
(ङ) ii कर्थन I और II सही हैं | 1
5

10. धनिाण ररि कधविाओं के आिार पर धनम्नधिल्किि चार प्रश्नों में से धकन्ीं िीन प्रश्नों के उत्तर 3x2=6
िगिग 25-30 शब्ों में धिल्किए :
(क) शल्कक्त और साहस के सार्थ धवनम्रिा का होना आवश्यक है – 2
 धवनम्रिा के अिाव में शल्कक्त और साहस अधनयंधत्रि हो सकिे हैं , धजसका पररर्ाम
धवनाशकारी होिा है |
 धवनम्रिा का न होना अहं कार को जन्म िे िा है |
 जैसे परशुराम और िक्ष्मर् में धवनम्रिा का अिाव र्था इसधिए उन्ें सिा के धवरोि
का सामना करना पड़ा |
 जबधक राम में शल्कक्त और साहस के सार्थ धवनम्रिा िी र्थी इसधिए सिा ने उनका
सम्मान धकया |
(ि) कधव अपनी आत्मकर्था में धनम्नधिल्किि िथ्ों का उले ि नहीं करना चाहिा है - 2
 वह अपनी सरििा जो उसके िु िों का कारर् रही है , का उले ि नहीं करना
चाहिा है |
 वह अपने जीवन में की गई न िो िू िों को धििाना चाहिा है और न िू सरों के
छि-कपट को।
 वह अपनी प्रे यसी के सार्थ धबिाए सु िमय पिों को सबसे नहीं कहना चाहिा है ।
 वह अपने जीवन के िु बणि पक्षों का िी उले ि नहीं करना चाहिा है ।
( धकन्ीं िो धबंिुओ का उले ि अपेधक्षि )
(ग)  कधव नागाजुणन अपनी घुमक्कड़ प्रवृ धत्त के कारर् प्रवासी जीवन व्यिीि करिे र्थे | 2
 अधिकां श समय अपने घर से िू र रहे , धजस कारर् वे अपने धशशु के धिए
अपररधचि हो गए |
 कधव एक अधिधर्थ की िरह बहुि धिनों पश्चाि् िौटे हैं |
 अपनी इसी ल्कथर्थधि के कारर् वे स्वयं को अन्य,इिर,अधिधर्थ कह रहे हैं |
 ये उनके अंिमणन की पीड़ा और व्यर्था को प्रिधशणि कर रहा है |
( धकन्ीं िो धबंिुओ का उले ि अपेधक्षि )
(घ)  संगिकार जैसे व्यल्कक्तयों की प्रासंधगकिा हर काि में रही है और 2
रहे गी |
 संगिकार की बहुि ही महत्त्वपूर्ण एवं सार्थणक िूधमका होिी है |
 ऐसे व्यल्कक्त समाज के हर छोटे -बड़े कायण में सहायक की िूधमका का धनवाण ह करिे
है |
 प्रधसि या महान व्यल्कक्तयों की सफ़ििा में स्वयं को पीछे रिकर अपनी मनुष्यिा
का पररचय िे िे हैं |
 ये सिै व अपने त्याग से िू सरों को आगे बढ़ाने में सहायक बनिे हैं |
 इनकी उपयोधगिा सुदृढ़ नींव जैसी होिी है |
( धकन्ीं िो धबंिुओ का उले ि अपेधक्षि )

11. पूरक पाठ्य पुस्तक के धनिाण ररि पािों पर आिाररि धनम्नधिल्किि िीन प्रश्नों में से धकन्ीं िो 2x4=8
प्रश्नों के उत्तर िगिग 50-60 शब्ों में धिल्किए :
6

(क) ‘मािा का अंचि’ नामक पाि में िेिक ने ित्कािीन समाज का धचत्रर् करिे हुए वहाँ 4
की जीवन-शैिी का उलेि धकया है
 शां ि, प्राकृधिक एवं आत्मीयिा से पररपू र्ण वािावरर्
 सरि एवं सािगीपूर्ण जीवनशैिी
 पाररवाररक संबंिों में घधनष्ठिा
 सामूधहकिा
 प्रकृधि से धनकटिा
 शारीररक िेिों की प्रिानिा
 िेि -मनोरं जन के सरि और सुिि सािन
( धकन्ीं चार धबंिुओ का उलेि अपेधक्षि )
(ि) ‘साना-साना हार्थ जोधड़’ यात्रा-वृ िां ि के आिार पर िेल्किका ज्ोंज्ों- ऊँचाई की 4
ओर बढ़िी जा रही र्थीं, त्यों- त्यों-
 बाजार, िोग और बल्कस्तयाँ कम होिी जा रही र्थीं।
 चििे-चििे स्वेटर बुनने वािी नेपािी युवधियाँ और काटू ण न ढोने वािे
बहािु र नेपािी ओझि हो रहे र्थे।
 घाधटयों में बने घर िाश के बने घरों की िरह धिि रहे र्थे।
 धहमािय अब अपने धवराट रूप एवं वै िव के सार्थ धििने िगा र्था।
 रास्ते सँकरे और जिे बी की िरह घुमाविार होिे जा रहे र्थे।
 बीच-बीच में रं ग-धबरं गे ल्कििे हुए िूि धिि जािे र्थे।
( धकन्ीं चार धबंिुओ का उले ि अपेधक्षि )
(ग) धहरोधशमा में अर्ुबम धवस्फोट से धनकिी रे धडयोिमी िरं गों ने असमय असंख्य िोगों को 4
कािकवधिि कर धिया। िेिक ने उस धवस्फोट का िु ि िोगिे हुए िोगों को िे िा। यह
िे िकर िारि की पूवी सीमा की घटना याि आ गई धक कैसे सैधनक ब्रह्मपु त्र में बम
िेंककर हजारों मछधियाँ मार िे िे र्थे जबधक उनका काम र्थोड़ी-सी मछधियों से चि
सकिा र्था। इससे जीवों का व्यर्थण ही धवनाश हुआ र्था।
खंड – घ
( िचनात्मक लेखन ) 20
12. धनम्नधिल्किि िीन धवषयों में से तकस एक धवषय पर संकेि धबन्िु ओं के आिार पर िगिग 1x6=6
120 शब्ों में एक अनुच्छेि धिल्किए :
अनुच्छेि िे िन
 िूधमका 1 अंक
 धवषयवस्तु 3 अंक
 धनष्कषण 1 अंक
 िाषा शु ििा 1 अंक
7

13. धकसी एक धवषय पर िगिग 100 शब्ों में पत्र धिल्किए : 1x5=5
पत्र -िेिन
 प्रारूप (प्रारं ि और अंि की औपचाररकिाएं ) 1 अंक
 धवषयवस्तु 3 अंक
 िाषा शु ििा 1 अंक

14. धकसी एक धवषय पर िगिग 80 शब्ों में स्ववृ ि / ई-मेि धिल्किए : 1x5=5
स्ववृ ि िेिन
 प्रारूप 1 अंक
 धवषयवस्तु 3 अंक
 िाषा शु ििा 1 अंक
अर्थवा
ई - मेि
 प्रारूप 1 अंक
 धवषयवस्तु 3 अंक
 िाषा शु ििा 1 अंक

15. धकसी एक धवषय पर िगिग 40 शब्ों में धवज्ञापन / संिेश िेिन : 1x4=4
धवज्ञापन िेिन
 रचनात्मक प्रस्तुधि 1 अंक
 धवषयवस्तु 3 अंक
 िाषा शु ििा 1 अंक
अर्थवा
संिेश िे िन
 रचनात्मक प्रस्तुधि 1 अंक
 धवषयवस्तु 3 अंक
 िाषा शु ििा 1 अंक

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